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Showing posts from February, 2019

खुटाघाट बांध,बिलासपुर (Khuta Ghat,Bilaspur)

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खुटाघाट बांध,बिलासपुर (Khuta Ghat,Bilaspur) खुटाघाट बांध का परिचय: छत्तीसगढ़ के पूरे क्षेत्र में धान का कटोरा 'या' राइस ऑफ बाउल इसका क्रेडिट छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले को दिया जाता है। इस जिले की अनूठी विशेषताओं में चावल, कोसा उद्योग और अपनी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि कोर्स की गुणवत्ता परिष्कृत के कारण यह बहोत ही प्रसिद्ध हैं। 400 साल की उम्र के आसपास, बिलासपुर के शहर से देश भर में अपनी आकर्षक पर्यटन स्थलों और स्मारकों और पवित्र स्थानों का भंडार शामिल हैं, जो यात्रियों को आकर्षित बहोत करती है। इनमें से भारत के छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले मे खुटाघाट बांध व्यापक रूप से अपनी सुंदरता और आगंतुकों के लिए उत्कृष्ट मनोरंजन के अवसरों की पेशकश के लिए प्रशंसित है।  खुटाघाट बांध का विवरण: बिलासपुर खुटाघाट बांध हर पर्यटक के साथ प्रसिद्ध है। यह रतनपुर खंडहर के लिए मशहूर शहर से 12 किमी की दूरी पर स्थित है। खुटाघाट बांध खरून नदी के शांत किनारे पर एक बांध का निर्माण किया है और पूरे क्षेत्र की सिंचाई की प्रक्रिया में मदद करता है।  अगर आप खुटाघाट बांध का भ्रमण करते है तो आप इसके बेदा...

लक्ष्मणेश्वर महादेव – खरौद (Laxmaneshwar Mandir,Kharod)

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छत्तीसगढ़ के पाँच ललित कला केन्द्रों में से एक और मोक्षदायी नगर माना जाने के कारण छत्तीसगढ़ की काशी कहा जाने वाला खरौद नगर में एक दुर्लभ शिवलिंग स्थापित है ! जिसे लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है ! लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर शिवरीनारायण से 3 किलोमीटर और छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 120 किलोमीटर दूर खरौद नगर में स्तिथ है। कहते है की भगवन राम ने यहाँ पर खर व दूषण का वध किया था इसलिए इस जगह का नाम खरौद पड़ा। खरौद नगर में प्राचीन कालीन अनेक मंदिरों की उपस्थिति के कारण इसे छत्तीसगढ़ की काशी भी कहा जाता है। रामायणकालीन इस मंदिर के गर्भगृह में एक शिवलिंग है जिसमें एक लाख छिद्र हैं ! कहते हैं कि इनमें से एक छिद्र पाताल का रास्ता है ! लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहाँ रामायण कालीन शबरी उद्धार और लंका विजय के निमित्त भ्राता लक्ष्मण की विनती पर श्रीराम ने खर और दूषण की मुक्ति के पश्चात ‘लक्ष्मणेश्वर महादेव’ की स्थापना की थी ! रतनपुर के राजा खड्गदेव ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था ! विद्वानों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण काल छठी शताब्दी माना गया है...

जांजगीर-चांपा जिले के दलहा पहाड़ पर सूर्यकुंड का पानी पीने जुटते हैं हजारों लोग।

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जांजगीर-चांपा जिले के दलहा पहाड़ पर सूर्यकुंड का पानी पीने जुटते हैं हजारों लोग। जांजगीर-चांपा जिले में अकलतरा के पास है दलहा पहाड़। मुनि का आश्रम और सूर्यकुंड प्रसिद्ध है यहां। साल के एक दिन नागपंचमी पर इस कुंड की महत्ता सबसे ज्यादा होती है। इसका पानी पीने हजारों लोग जंगलों, पर्वतों और पत्थरों से भरे रास्ते पैदल आते हैं। लंबा रास्ता तय करने के बाद चार किलोमीटर की सीधी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। यहां के पंडित उमाशंकर गुरुद्वान के मुताबिक, ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन कुंड का पानी पीने से लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहता है। लोगों में किसी भी प्रकार की बीमारी हो, यहां का पानी पीने से चली जाती है। इसलिए हर साल लाखों की तादाद में श्रद्धालु भक्त नागपंचमी के दिन इस कुंड का पानी पीने कई किलोमीटर दूर से पैदल चलकर आते हैं। कटीले और पथरीली इलाकों में रहता है जान का खतरा यहां घने जंगल के अंदर से जब श्रद्धालु आते हैं तो उन्हें कटीले पौधों और पथरीली पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ता है। कितने श्रद्धालुओं के पैरों में कांटे गड़ते हैं, इस जंगल में कीड़े और सांप भी रहते हैं। लेकिन श्रद्धालु भक्त बगैर डरे ...

मिनीमाता (हस्देओ) बैंगो बांध, कोरबा, छत्तीसगढ़

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छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में हस्देओ बैंगो बांध का निर्माण हस्देओ नदी पर किया गया है और छत्तीसगढ़ में पर्यटन के लिए यह बांध प्रसिद्ध है। हस्देओ बैंगो बांध, आकर्षक पहाड़ियों के बीच स्थित, एक आदर्श पिकनिक स्थान है। बांध लगभग 555 मीटर लंबा है और इसमें 11 गेट हैं, जिनमें से 10 परिचालन हैं। हस्देओ बैंगो बांध, मिनीमाता (हस्देओ) बैंगो बांध के रूप में जाना जाता है। हस्देओ बैंगो हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट, हस्देओ नदी के बाएं किनारे गांव माचडोली, कटघोरा, कोरबा में स्थित है। यह परियोजना बहुउद्देशीय उपयोग के लिए डिज़ाइन की गई है। योजना आयोग ने मार्च 1984 में योजना को मंजूरी दी थी। हस्देओ बैंगो बांध एल्यूमिनियम प्लांट, एसईसीएल, एनटीपीसी, सीएसपीजीसीएल, कोरबा टाउन और अन्य औद्योगिक इकाइयों की पानी की आवश्यकता को पूरा करती है। यह कोरबा जिले से 70 किमी दूर स्थित है। इसमें 6,730 वर्ग किमी का एक जलग्रहण क्षेत्र है।